Wednesday, 2 November 2016

लो क सं घ र्ष !: राजीव यादव की सरकारी हत्या का प्रयास




आजादी के बाद से आज तक के इतिहास में पहली बार भोपाल कारागार से आठ कथित सिमी कार्यकर्ता
कैदियों को निकाल कर दस किलोमीटर दूर ईटी  गांव में ले जाकर फर्जी
मुठभेड़ दिखाकर हत्या कर दी उस मुठभेड़ को सही साबित करने के लिए
आश्चर्यजनक परिस्थितियों में जेल वार्डन रमाशंकर यादव की हत्या कर दी जाती
हैं यह सभी कार्य राजनीतिक नेतृत्व के सम्भव नहीं है
दिल्ली में सीबीआई वरिष्ठ अधिकारी बंसल को गिरफ्तार
करती है और उस घटना में पहले बंसल की बेटी और पत्नी आत्महत्या कर लेती है
और बाद में बंसल और उनका पुत्र भी
आत्महत्या कर लेता है सीबीआई केन्द्र सरकार की इच्छा शक्ति को प्रदर्शित
करती है और अधिकारियों को यह संदेश देती है कि अगर हमारे राजनीतिक इशारों
के अनुसार कार्य नहीं करोगे तो यातना गृह में पूरे परिवार को तडपा तडपा कर
मार डाला जायेगा। यह सब मामले नाजी
जर्मनी की याद दिलाते हैं और
हिटलर का गेस्टापो   जर्मनी में कवि लेखक पत्रकार
न्यायविद व यहूदी लोगों को उठा ले जाते थे यातनागृहो में मार डालने का
कार्य करते थे और अगर कोई व्यक्ति किसी जेल में होता था तो उसको कैदियों
द्वारा पीटने के नाम पर उसकी हत्या कर दी जाती थी। कतील नाम के मुस्लिम
नौजवान की हत्या जेल में कर दी जाती जब उसके केस का फैसला आने वाला होता
है। उसी तर्ज पर जब इन सिमी कार्यकर्ताओं का फैसला आने वाला था तो जाकिर
हुसैन सादिक, मोहम्मद सलीक, महबूब गुड्डू, मोहम्मद खालिद अहमद, अकील अमजद,
शेख मुजीब और मजीद की हत्
या कारागार से निकाल कर कर दी जाती है।

                                                             वही   उत्तर प्रदेश की राजधानी
लखनऊ में उक्त हत्या कांड  के विरोध प्रदर्शन  में पुलिस ने नागरिक संगठन रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव की बुरी
तरह पिटाई की है. पुलिस राजीव को पीटते हुए जीपीओ पुलिस चौकी ले गई, जहां
तबीयत बिगड़ने पर ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया.


                                  राजीव के अलावा मंच के
शकील कुरैशी भी ज़ख़्मी हैं. मंच ने सोमवार को भोपाल में हुए सिमी एनकाउंटर
और उसमें पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए लखनऊ, जीपीओ पर विरोध
प्रदर्शन बुलाया था जहां पुलिस ने उनपर कार्रवाई की.   रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब अधिवक्ता ने कहा है कि
मध्यप्रदेश
की भाजपा सरकार ने उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार से कोई अंदरुनी गठजोड़
कर रखा है?जिसका परिणाम   लाठी चार्ज है यह भी सरकारी हत्या का प्रयास है
जो भी विरोध करेगा  उसका भी यही अंजाम होगा




                          देश बदल रहा है देश को यातना गृह और हत्या घर में बदला
जा रहा है न्यायपालिका चिल्ला रही है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति न कर
न्यायालयों में ताला लगाने की साजिश है राजनीतिक नेतृत्व हिटलर के फासीवाद
से प्रतीत है उससे कोई उम्मीद करना बेइमानी होगी जरूरत इस बात की है कि
धर्मनिरपेक्ष, जनवादी कार्पोरेट विरोधी शक्तियों को अपनी ताकत से विरोध
करने की है भोपाल फर्जी मुठभेड़ प्रकरण की अविलंब जाच उच्चतम न्यायालय के
न्यायाधीश इस बिंदु पर कराने की आवश्यकता है कि क्या राजनीतिक नेतृत्व की
इस फर्जी मुठभेड़ प्रकरण में कहा तक शामिल था 


----रण धीर सिंह सुमन 

                          एडवोकेट

 लो क सं घ र्ष !

Thursday, 10 July 2014

लो क सं घ र्ष !: गांधी का कत्ल साम्राज्यवादी ताकतों ने ‘गोडसे’ से करवाया



बाराबंकी। साम्राज्यवादी ताकतों ने अपने नये स्वरूप से न सिर्फ
हिन्दुस्तान को वरन एशिया समेत कई अफ्रीकी देशों को अपने शिकंजे में ले
लिया है, साम्राज्यवादी ताकतों के असली चेहरे को नजदीक

से सबसे पहले महात्मा गांधी ने देखा था और वह उसका शिकार भी हुए थे इसीलिए
उनका कत्ल साम्राज्यवादी ताकतों ने ‘गोडसे’ से करवाया था क्योंकि इस बात
का खतरा था कि उनके हिन्दुस्तान छोड़ने के बाद 80 साल का बुजुर्ग गांधी
कहीं पूंजीवादी राज्य की कब्र हमेशा-हमेशा के लिए खोद न दे और वह यहां के
प्राकृतिक खजाने से वंचित न हो जाए।

यह विचार व्यक्त करते हुए
रामसेवक यादव स्मारक इण्टर कालेज लखपेड़ाबाग में पूर्व नौसेनाध्यक्ष एडमिरल
विष्णु भागवत ने लोक संघर्ष पत्रिका द्वारा आयोजित गोष्ठी ‘साम्राज्यवादी
ताकतों का आतंक व एशिया’ विषय पर बोलते हुए कहा कि मौजूदा हुकूमत
साम्राज्यवादी ताकतों के साये में काम कर रही है। इसीलिए दूसरे मुल्कों से
सबक लेते हुए होशियार रहने की जरूरत है। साम्राज्यवादी ताकतों ने यहां के
निवासियों के मनो मस्तिष्क के ऊपर ऐसा जादू किया है कि आज उन्हीं की
समर्थित सरकार कायम हो गयी है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता पर पश्चिमी
सभ्यता हावी हो गयी है। चाहे हिन्दू हो या मुसलमान सभी इस मर्ज में डूब
चुके हैं। जब इन चीजों को लोगों ने अपनी जिन्दगी का हिस्सा बना लिया है तो
साम्राज्यवादी ताकतें उनकी इन आदतों का लाभ उठा रही हैं और पूरे देश को
अपने चंगुल में कैद कर चुकी है। वह व्यापार को भी तबाह और बरबाद कर चुकी
हैं। पूंजीपतियों ने रोटी की समस्या पैदा कर नौजवानों को गूंगा बहरा कर
दिया है।
श्री भागवत ने आगे कहा कि बुनियादी समस्याओं पर अब कोई
चर्चा नहीं होती इन समस्याओं को नजरअंदाज करके सरमायेदारी पुलिसिया हथकण्डे
अपनाती है चाहे वह बी0जे0पी0 हो या कांग्रेस, समाजवादी, बी0एस0पी0 आदि सभी
राजनीतिक दल की सोच और मकसद साम्राज्यवादी ताकतों को फायदा पहुंचाना है
जिससे गरीब और गरीब होता जा रहा है और अमीर रातों रात कई गुना अमीर हो जाता
है। इस देश में पीने के पानी की किल्लत है और राजनीतिक व्यवस्थाए उसकी
व्यवस्था करने के बजाए प्राकृतिक खजाने को लूटने में लगे हुए हैं। हमारी
सरकारे लूटकारी शक्तियों की राह को और आसान बनाने में मेली व मददगार हैं।
बांटो और राज्य करो की नीति पर काम किया जा रहा है। जिसकी वजह से देश में
धार्मिक व प्राकृतिक झगड़े का माहौल पैदा हो रहा है। लोगों के दिमाग से
बुनियादी समस्याओं को हटाने के लिए सरकार विभिन्न तरीके के हथकण्डे अपना
रही है। देश में हथियारों के बजट को बढ़ाया जा रहा है। जबकि आयातित
हथियारों से बढि़या हथियार अपने देश में निर्मित हो सकते हैं। जानबूझकर
पड़ोसी मुल्कों से रिश्ते खराब कर दहशतगर्दी का माहौल कायम करके नौजवानों
को फर्जी तरीके से फंसाया जा रहा है।
इस अवसर पर लोक संघर्ष पत्रिका
की ओर से मुख्य अतिथि एडमिरल विष्णु भागवत द्वारा प्रदेश की मेरिट सूची
में सर्वश्रेष्ठ स्थान पाने वाले छात्र/छात्राओं को प्रशस्ति पत्र भी दिया
गया।
गोष्ठी की अध्यक्षता जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बृजेश
दीक्षित ने की। गोष्ठी में हुमायूं नईम खान, डा0 राजेश मल्ल, बृज मोहन
वर्मा, मो0 शुऐब एडवोकेट, डा0 उमेश चन्द्र वर्मा, डा0 कौसर हुसैन, नीरज
वर्मा, पुष्पेन्द्र सिंह, कर्मवीर सिंह, डा0 विकास यादव, विजय प्रताप सिंह,
दिलीप गुप्ता, पवन वैश्य, हनुमान प्रसाद वर्मा, विनय कुमार सिंह, अनूप
कल्याणी,उपेन्द्र सिंह ,प्रदीप सिंह , श्रीराम सुमन समेत सैकड़ों लोग
उपस्थित रहे।
गोष्ठी का संचालन लोक संघर्ष पत्रिका के प्रबंध सम्पादक रणधीर सिंह सुमन ने किया।

Friday, 8 November 2013

लो क सं घ र्ष !: सरदार पटेल भी भाजपा के प्रतीक नहीं बन पायेंगे

आरएसएस, भाजपा (और भाजपा के पूर्व संस्करण जनसंघ) हमेशा एक प्रतीक की तलाश में रहे हैं। उनका अपना कोई ऐसा नेता पैदा नहीं हुआ जो खुद प्रतीक के रूप में याद किया जा सकता। ऐसे अकाल में निश्चय ही उन्हें एक प्रतीक के लिए भटकना पड़ रहा है। सत्तर के दशक में जनसंघ ने स्वामी विवेकानन्द को अपना प्रतीक गढ़ने का नापाक असफल प्रयास किया परन्तु विवेकानन्द के ऐतिहासिक शिकागो वक्तव्य ने जनसंघ की राह में रोड़े अटकाये जिसमें उन्होंने बड़ी शिद्दत से कहा था कि ”भूखों को धर्म की आवश्यकता नहीं होती है“। विवेकानन्द ने भूखों के लिए पहले रोटी की बात की जबकि जनसंघ और आरएसएस उस समय भारतीय पूंजीपतियों के एकमात्र राजनीतिक प्रतिनिधि के रूप में भारतीय राजनीति में कुख्यात थे।
उसी दशक में जनसंघ का अवसान हुआ और उसके नये संस्करण भाजपा का जन्म। भाजपा ने अपने जन्मकाल से सत्ता प्राप्ति के साधन के रूप में दो रास्ते निर्धारित किये - एक तो समाज के अंध धार्मिक विभाजन के जरिये मतों का ध्रुवीकरण और दूसरा एक प्रतीक को अंगीकार कर उसके आभामंडल के जरिये कुछ लाभ प्राप्त करना। पहले मंतव्य में तो भाजपा कुछ हद तक एक दौर में सफल रही परन्तु दूसरे मोर्चे पर उसके लगातार पराजय मिली है।
उन्होंने भगत सिंह को अपना प्रतीक बनाने की कोशिश इसलिए की क्योंकि शहीदे आजम भगत सिंह निर्विवाद रूप से भारतीय जन मानस में, और विशेष रूप से नवयुवकों में, एक नायक के रूप में जाने और पहचाने जाते हैं। भाजपा की यह बहुत बड़ी गलती थी क्योंकि भारतीय क्रान्तिकारियों में भगत सिंह उन नायकों में शामिल थे जिनके विचारों को पहले से ही बहुत प्रचार मिल चुका था। भगत सिंह के आदर्शों को भाजपा स्वीकार नहीं सकती क्योंकि वह ‘मार्क्सवादी’ दर्शन था। उन्होंने साम्प्रदायिकता के खिलाफ भी बोला और लिखा था जो पहले ही प्रकाशित हो चुका था। भाजपा एक बार फिर बुरी तरह असफल रही।
तत्पश्चात् भाजपा ने महात्मा गांधी को अपना प्रतीक बनाने की एक कोशिश की। अस्सी के दशक में ‘गांधीवादी समाजवाद’ लागू करने का नारा दिया गया। यह पहले की गल्तियों से कहीं बड़ी गलती थी। इस बात में कोई सन्देह नहीं कि गांधी एक महापुरूष थे और दुनियां के तमाम देशों में स्वतंत्रता और दमन के खिलाफ संघर्ष करने वालों ने उनके ‘सत्याग्रह’ के विचारों को लागू करने के सफल प्रयास किये परन्तु गांधी जी कभी समाजवादी नहीं रहे थे। इसलिए आम जनता कथित ‘गांधीवादी समाजवाद’ को स्वीकार भी नहीं कर सकती थी। दूसरे भाजपा की नाभि आरएसएस पर गांधी की हत्या का आरोप उस समय लग चुका था जब न तो जनसंघ वजूद में था और न ही भाजपा।
कांग्रेस नीत संप्रग अपने दो कार्यकाल पूरे कर रही है। निश्चित रूप से उसे पिछले 10 सालों के अपने काम-काज के कारण जनता में व्याप्त असंतोष का सामना आसन्न लोक सभा चुनावों में करना होगा। भाजपा इस अवसर का लाभ उठाने के लिए बहुत व्याकुल है। एक ओर वह अपने एक साम्प्रदायिक प्रतीक नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री का प्रत्याशी घोषित कर ध्रुवीकरण का प्रयास कर रही है तो दूसरी ओर ‘लौह पुरूष’ के नाम से विख्यात कांग्रेसी नेता सरदार पटेल को अपना प्रतीक बना लेने की कोशिशें कर रही हैं।
भाजपा द्वारा मोदी को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किये जाने के पहले ही मोदी यह घोषणा कर चुके थे कि वे नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के पास सरदार पटेल की लोहे की एक 182 मीटर ऊंची विशालकाय प्रतिमा बनवायेंगे जो दुनियां की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। इस प्रतिमा के निर्माण के लिए गांव-गांव से खेती में प्रयुक्त होने वाले लोहे के पुराने बेकार पड़े सामानों को इकट्ठा किया जायेगा। अभी हाल में उन्होंने इस प्रतिमा का शिलान्यास समारोह भी सम्पन्न करवा दिया। समारोह के पहले मोदी ने पटेल के प्रधानमंत्री न बनने पर अफसोस जताकर गुजराती अस्मिता को उभारने की कोशिश की। उन्होंने यहां तक कह दिया कि सरदार पटेल की अंतेष्टि में जवाहर लाल नेहरू उपस्थित नहीं थे। एक तरह से मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर आक्रमण के जरिये ‘सोनिया-राहुल’ को भी निशाने पर लेना चाह रहे थे। कांग्रेस का मोदी पर पलट वार स्वाभाविक था।
भाजपा के किसी जमाने के कद्दावर नेता लाल कृष्ण आणवानी आज कल आरएसएस की बौद्धिकी का काम संभाल चुके हैं। सोशल मीडिया पर ब्लॉग लेखन वे काफी समय से कर रहे हैं। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में मोदी के नाम की घोषणा पर उन्होंने कुछ नाक-भौ जरूर सिकोड़ी थी परन्तु आज कल वे अपने ब्लॉग के जरिये मोदी के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। आरएसएस की यह पुरानी रणनीति रही है कि वह अपने सभी अस्त्र-शस्त्र एक साथ प्रयोग नहीं करती बल्कि किश्तों में करती है जिससे मुद्दा अधिक से अधिक समय तक समाचार माध्यमों में छाया रहे।
आणवानी जी ने पहला शिगूफा छोड़ा कि नेहरू ने कैबिनेट बैठक में 1947 में सरदार पटेल को साम्प्रदायिक कहा था। इसका श्रोत उन्होंने एक पूर्व आईएएस अधिकारी को बताया। इस बात पर भी प्रश्न चिन्ह है कि जिस अधिकारी का हवाला दिया गया है वह उस समय सेवा में था अथवा नहीं और अगर सेवा में था तो भी वह कैबिनेट बैठक में कैसे पहुंचा। ध्यान देने योग्य बात यह है कि आजादी के पहले आईएएस नहीं आईसीएस होते थे। दो दिन बाद ही उन्होंने पूर्व फील्ड मार्शल मानेकशॉ के हवाले से अपने ब्लॉग में लिखा कि नेहरू 1947 में पाकिस्तान की मदद से कबाईलियों द्वारा कश्मीर पर हमले के समय फौज ही भेजना नहीं चाहते थे और फौज भेजने का फैसला सरदार पटेल के दवाब में लिया गया था। यह मामला भी कैबिनेट बैठक का बताया जाता है। इस पर भी प्रश्नचिन्ह है कि 1947 में मॉनेकशा फौज के एक कनिष्ठ अधिकारी थे और वे कैबिनेट बैठक में मौजूद भी हो सकते थेे अथवा नहीं। आने वाले दिनों में इसी तरह के न जाने कितने रहस्योद्घाटन आरएसएस की फौज करेगी जिससे मामला बहस और मीडिया में लगातार बना रह सके।
उत्सुकता स्वाभाविक है कि आखिर सरदार पटेल को इस गंदे खेल के मोहरे के रूप में क्यों चुना गया है? बात है साफ, दलीलों की जरूरत क्या है। एक तो भाजपा सरदार पटेल के नाम पर गुजराती वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है। दूसरे पटेल गुजरात की एक ताकतवर जाति है और उत्तर भारत की एक ताकतवर पिछड़ी जाति ‘कुर्मी’ भी अपने को सरदार पटेल से जोड़ती रही है। इस तरह उत्तर भारत में ‘कुर्मी’ वोटरों का ध्रुवीकरण भी उसका मकसद है।
मकसद कुछ भी हो, एक बात साफ है कि जब स्वामी विवेकानन्द भाजपा के न हो सके, न ही भगत सिंह और महात्मा गांधी तो फिर सरदार पटेल भी भाजपा के प्रतीक नहीं बन पायेंगे। सम्भव है कि चुनावों के पहले इसका भी रहस्योद्घाटन हो ही जाये कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध भी सरदार पटेल ने ही लगाया था और तत्कालीन संघ प्रमुख गोलवलकर से माफी नामा भी उन्होंने ही लिखाया था क्योंकि वे उस समय अंतरिम कैबिनेट में गृह मंत्री थे।
- प्रदीप तिवारी

Sunday, 3 November 2013

लो क सं घ र्ष !: नरेंद्र मोदी इस लायक नहीं हैं की उन्हें हिंदुस्तान का वजीरे आलम बनाया जाए

सभी अमेरिकी हिन्दुस्तानियों का कहना था कि नरेंद्र मोदी इस लायक नहीं हैं की उन्हें हिंदुस्तान का वजीरे आलम बनाया जाए यह बात अमेरिका में एक जलसे को खिताब करते हुए  संसद सदस्य मोहम्मद अदीब से हिंदुस्तानी अमेरिकियों ने कहा।
                          भाजपा से वजीर-ए-आजम के उम्मीदवार व गुजरात ले वजीरे आला नरेंद्र मोदी के खिलाफ मजबूती से आवाज बुलंद करने वाले संसद सदस्य मोहम्मद अदीब ने अमेरिका में रहने वाले हिन्दुस्तानियों से खिताब करते हुए उन्हें यकीन दिलाया कि हिंदुस्तान एक सेक्युलर और जम्हूरी मुल्क है।  जहाँ फिरका परस्तों के लिए कोई जगह नहीं है. लिहाजा हम हिंदुस्तान के सेक्युलर अवाम कि तरफ से यह यकीन दिलाते हैं कि 2014 में नरेंद्र मोदी को शिकस्त होगी और मुल्क में सेक्युलर नजरिये की हुकूमत कायम होगी। ख्याल रहे कि मोहम्मद अदीब 20 अक्टूबर से 15 दिनों के लिए अमेरिकी दौरे पर हैं। और वह 5 नवंबर को वतन वापस लौटेंगे वह हिंदुस्तानी नुमाइंदे की हैसियत से संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेंबली में शिरकत के लिए गए हैं।
जनरल असेंबली के अपने खिताब में क्यूबा के ऊपर लगायी गयी पाबन्दी का पुरजोर मुतालबा किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के अलावा कई बड़े जलसों में शिरकत की और उन्होंने कहा कि अमेरिका में रहने वाले हिन्दुस्तानियों को इस बात की फ़िक्र हैं कि नरेंद्र मोदी जैसे शख्स को हिंदुस्तान की जिम्मेदारी सौंप दी गयी तो इस सेक्युलर मुल्क का क्या होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिकी हिन्दुस्तानियों का यह मानना है कि सेक्युलर नजरिया रखने वाले लोगों को बहुत सोच समझ कर फैसला करना चाहिए।
                  संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेंबली से मुखातिब हुए उन्होंने कहा कि क्यूबा पर अमेरिका ने ईरान कि ही तर्ज पर गुजिस्ता 21 वर्षों से आर्थिक पाबन्दी लगा राखी है जिसकी वजह से वहाँ कि अर्थ व्यवस्था के हालात बदतर हैं। अदीब ने कहा की अमेरिका कि तरफ से आयत की गयी पाबन्दी बेबुनियाद  व गलत है लिहाजा उसे ख़त्म किया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र संघ के खिताब के बाद उन्होंने अमेरिकी हिन्दुस्तानियों के जरिये डेल्स मुशिगन व नॉर्थ रेले में कई जलसों को खिताब किया। इसी क्रम में न्यू जर्सी व बाल्टीमोर में कई जलसों में भी    शिरकत की।

स्रोत्र :
इंक़लाब

Wednesday, 16 October 2013

किसानो की यह जंग जारी रहेगी



बाराबंकी।  किसानो की 163 ग्राम पंचायतों की जमीन छीन कर उत्तर प्रदेश सरकार टाउनशिप बसाना चाहती है। बड़े-बड़े माल, स्विमिंग पूल, फाइव स्टार होटल बनाने का कार्यक्रम है। किसानो की आम की बाग़, लहलहाते केलों के झुण्ड, धान की फसलें, गेंहू के खेत, मेंथा की हरियाली की जगह किसानो की रोजी-रोटी छीन कर उनको भूखा मार देने की उक्त योजना के विरोध में ग्राम मुबारकपुर में आज से क्रमिक भूख हड़ताल प्रारंभ हो गई है।               
यह जानकारी देते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद् सदस्य डॉ उमेश चन्द्र वर्मा ने बताया कि आज क्रमिक भूख हड़ताल पर कांशीराम के नेतृत्व में महेश प्रसाद, राम विलास, मायाराम व भिखारी लाल 24 घंटे के लिए बैठे हैं। यह क्रमिक भूख हड़ताल 20 अक्टूबर तक चलेगी। 
          डॉ उमेश वर्मा ने आगे बताया कि 17 अक्टूबर से किसान सभा के नेतृत्व में विशुनपुर, बरौली जाटा, मसौली, मलूकपुर, जीयनपुर, मोहम्मदपुर बंकी, कोलागांव,  भगवंतनगर, अजगना, चंदनपुरवा, महुवामऊ, अलीपुर समेत अन्य कई गाँवों में क्रमिक भूख हड़ताल किसान प्रारभ करेंगे। किसानो की यह जंग भूमि अधिग्रहण के खिलाफ अंतिम निर्णय होने तक जारी रहेगी। किसान एक भी इंच जमीन अधिग्रहण नहीं करने देगा। 
 नीरज वर्मा 
मंत्री 
अखिल भारतीय किसान सभा बाराबंकी

Wednesday, 2 October 2013

भारतीय सेना और प्रजातंत्र

भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के लगभग सभी राष्ट्रों के नागरिक, अपनी-अपनी सेनाओं को गर्व और श्रद्धा की नजर से देखते हैं। सेना को अराजनैतिक, अनुषासित सदस्यों वाली एक पवित्र संस्था माना जाता है। यह भी माना जाता है कि सेना के अधिकारी और कर्मचारी देषभक्त और ईमानदार होते हैं।

दुनिया को हंसाने वाला आज खुद रो रहा है

लोगों को चुटकुले सुनाकर हंसाने वाले यह जनाब आज खुद रो रहे हैं. यहां तक कि ऐसे दिन भी आ गए कि इन्हें अब अपनी सफाई रखनी पड़ रही है. हां, यहां बात कपिल शर्मा की हो रही है. दूसरों पर चुटकुले बोलने वाले कपिल शर्मा आज सभी को सफाई देते फिर रहे हैं. कुछ दिन पहले ही सेवा कर विभाग ने कपिल शर्मा पर 60 लाख रुपये का सेवा कर जमा नहीं करने का आरोप लगाया था. अब नौबत यह आ गई है कि इस मशहूर हास्य कलाकार कपिल शर्मा को अपनी सफाई देनी पड़ रही है.